बहुत से लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि आखिर कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता? जिस तरह ऋषि मुनि पुराने युगों में श्राप दिया करते थे ऐसा अब इस कलयुग में क्यों नहीं होता है। इसके पीछे कई कारण है तो आइये जानते हैं इस बारे में।
कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता?
अभी कलयुग चल रहा है और इससे पहले तीन युग सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग बीत चुके हैं। माना जाता है कि इस कलयुग में मानव की उम्र तथा आकार पिछले युगों की तुलना में कम है। इस कारण इस युग में कम समय में ही भगवान को प्रसन्न करना सम्भव है परन्तु कलयुग का मनुष्य बुरे कार्यो में लिप्त है तथा स्वार्थ के लिए जी रहा है जिस कारण इस युग के किसी भी मनुष्य के पास उन मुनियों की तरह शक्तियाँ नहीं है जो पुराने युगों में श्राप आदि दिया करते थे, कलयुग के मनुष्य का तपोबल और ब्रह्म बल काफी कम है जिस कारण वह श्राप और वरदान नहीं दे सकता है।
भगवान की भक्ति और सतकर्मो से ही तपोबल को बढ़ाया जा सकता है तथा प्रभु की तपस्या तथा अपार भक्ति के बाद ही यह सम्भव है और आज के समय में कुछ ही सिद्ध पुरुष है जो आध्यात्म को जानते हैं पर वह भी उन ऋषि मुनियों की तुलना में कमजोर है जो पुराने युगों में हुआ करते थे। इसके लिए श्राप की घटनाएँ कलयुग में सुनने के लिए नहीं मिलती है।
पहले के युगों में पाप काफी कम था तथा मनुष्य हर तरह के धार्मिक नियमों का पालन करता था तथा भक्ति भाव पर ध्यान देता था पर जैसे-जैसे पाप बड़ता गया वैसे-वैसे मनुष्य स्वार्थी और अधर्मी होता गया और आज यह परिस्थिति है कि जो शक्तियाँ पहले के मनुष्यों में थी वह आज के किसी भी मानव के पास नहीं है और वह आसानी से श्राप नहीं दे सकता है।
अगर हम किसी का बुरा करते हैं तो हमें उसकी सजा भगवान द्वारा जरुर दी जाती है ऐसा नहीं की मनुष्य के पास पहले की तरह श्राप देने की शक्ति नहीं है तो आप आपके पाप कर्मो से बच जाएँगे, भगवान के पास आपके हर कर्म का हिसाब है और आपको उसी के अनुसार ही जीवन में सुख और दुःख भोगने हैं।