कई बार चुनाव में वोट शेयर बढ़ता है पर सीटें कम हो जाती हैं जिस कारण भी पार्टी सरकार नहीं बना पाती है, केवल कुछ प्रतिशत के परिवर्तन के बाद भी कई सीटें कम हो जाने के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है। चुनाव में जीत हार तो चलती रहती हैं पर इस समीकरण को समझना बेहद जरुरी है, क्योंकि ज्यादा वोट मिलने के बाद भी सरकार न बना पाने के मामले कई बार सामने आते हैं।
वोट स्विंग ने बदला मामला
3 दिसम्बर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव नतीजे आ चुकें हैं, जिसमें BJP ने तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाई हैं और कांग्रेस केवल एक राज्य में ही सत्ता पा सकी। बीजेपी ने मध्यप्रदेश में पुनः अपनी सरकार बनाई है तथा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की हैं। चुनावों में अक्सर वोट स्विंग होते हैं और पिछले चुनाव की तुलना में वोट शेयर में थोड़ा अंतर आ जाता है पर यह थोड़ा सा अंतर कई बार सरकारों को सत्ता से बाहर भी कर देता है।
जैसा की इस बार मध्यप्रदेश में देखने को मिला है, पिछले चुनाव यानि 2018 के चुनाव की तुलना में इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस का वोट शेयर सिर्फ 0.49 प्रतिशत घटा पर कांग्रेस की 48 सीटें कम हो गयी तथा भारतीय जनता पार्टी ने 163 सीट ला कर अपनी सरकार बनाई है। कांग्रेस को कुल 66 सीट प्राप्त हुई है। मध्यप्रदेश की जनता ने शिवराज सिंह मामा के कार्य को सराहा है तथा बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाई है।
छत्तीसगढ़ में भी गंवाई सत्ता
छत्तीसगढ़ में भी केवल 4 प्रतिशत वोट इधर से उधर हुए हैं पर वहां भी कांग्रेस को 19 सीटों के अंतर का सामना करना पड़ा है। पर छत्तीसगढ़ में बीजेपी का वोट शेयर बड़ा है तथा यहाँ बीजेपी ने 54 सीट ला कर जीत हासिल की है और कांग्रेस मात्र 35 सीटों पर ही सिमट गयी। इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 46.27 और कांग्रेस का वोट शेयर 42.23% के आसपास रहा है।
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