भारत पर कई वर्षों तक मुगलों ने राज किया और अपनी संस्कृति और सभ्यता को यह स्थपित करने में सफल रहे। कुछ मुगल शासक इतने कट्टर थे कि उन्होंने अन्य धर्मो के लोगों पर जजिया कर लगाया पर अकबर को एक महान शासक माना जाता आ रहा है जो धर्मनिरपेक्ष थे तथा अकबर ने दीन-ए-इलाही नाम का एक धर्म चलाया था इसे मानने वालों में बीरबल भी बताए जाते हैं।
क्या सच में कोई बीरबल था?
आप बचपन से अकबर बीरबल कि कहानियां सुनते और देखते आ रहे हैं, जिसमे अकबर के नवरत्नों में एक बीरबल भी थे जो कगी चतुर माने जाते हैं और अकबर उनसे राज मशुहरा लिया करते थे।
बीरबल का असल नाम महेश दास था जो अकबर के खास बताए जाते हैं पर अकबरनामे में बीरबल या किसी भी महेश दास का जिक्र नहीं है। इसीलिए कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बीरबल केवल एक नाम मात्र है जो अकबर की छवि सुधरने के लिए लोगों के बीच लाया गया था इस नाम का कोई किरदार वास्तव में हुआ ही नहीं है। इन इतिहासकारों का कहना है कि अबुल फजल ने बीरबल का जिक्र क्यों नहीं किया? ‘अकबरनामा, आइने अकबरी और तबराते अकबरी’ में कहीं भी नवरत्नों के बारें में कुछ लिखा हुआ नहीं है।
बीरबल के होने न होने पर सवाल होते रहते हैं पर जो लोग बीरबल को मानते हैं उन्हें पास अधिक जानकारी है कि बीरबल नाम व्यक्ति था जिसकी मौत 1586 में हुई थी। 1586 में राजा बीरबल के नाम से प्रसिद्ध महेश दास एक बागी कबीले के साथ लड़ाई में मारे गए थे।
बीरबल को लेकर हमारी टीम के विचार
अकबर और बीरबल कि कहानियाँ वास्तव में हो सकती है क्योंकि तानसेन और कई रत्नों के बारें में पढ़ने के लिए मिल ही जाता है। वास्तव में अकबर कैसा था इसकी जानकारी तो केवल उस समय के लोगों को थी पर किताबो के आधार पर यह माना जा सकता है कि अकबर दुसरे मुगल शासको कि तरह क्रूर और कट्टर नहीं था इसके दरबार में कई हिन्दू मंत्री हुआ करते थे जिन मेसे एक बीरबल भी थे। हां यह हो सकता हैं कि आज के चलचित्रों के अनुसार जितना अधिक गहरा सम्बन्ध अकबर और बीरबल के बीच बताया जाता है उनता न हो।
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