जब भी हम समुद्र या नदी पर बने हुए पूल को देखते हैं तो हमारे मन में यह प्रश्न जरुर आता हैं कि इस बहते हुए पानी में या फिर समुद्र के गहरे पानी में इस तरह के पूल का निर्माण किस तरह किया गया होगा?
पुल का निर्माण करना आसान नहीं है, इसके लिए कई तरह के कठिन चरणों से गुजरना होता है और इसके करोड़ो की लागत भी आती है, पर जरुरी होने पर इस तरह का खर्च करना भी सही है जो लोगों के सफर को आसान बनाए।
पूल के निर्माण के प्रारंभिक चरण में उन खंभों की स्थापना शामिल है जो जमीन में गहराई तक दबे हुए होते हैं। यह चुनौतीपूर्ण होता है जब नदी या समुद्र में जल स्तर ज्यादा हो। इस पानी की नीचे की गहराई तक पहुंचने के लिए क्या किया जाता है और किस तरह इस बड़े से पूल को तैयार किया जाता है, यह जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
नदी या समुद्र पर पुल का निर्माण कैसे होता है?
जिस तरह कई बार स्ट्रॉ का उपयोग करके कोक, पेप्सी या फ्रूटी का सेवन किया होगा। हम पेय में स्ट्रॉ डालते हैं, जिससे एक वैक्यूम बनता है जो ताज़ा पेय को मुँह तक लाता है। पानी के अंदर खंभों की खुदाई के लिए भी इसी विधि का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले एक मजबूत चौकोर लोहे का मंच बनाया जाता है फिर उसके अंदर का पानी निकाला जाता है।
इसके लिए बेहतर अनुभव के साथ, बहुत सी बड़ी बड़ी मशीने चाहिए होती है, जिसमें क्रेन, ट्रक आदि शामिल है। पानी निकलने के लिए पाइप का चयन करना होता है जो पानी की गहराई से अधिक लंबा है। गहराई की सावधानीपूर्वक गणना करके और उपकरण का चयन करके ही इस काम को पूर्ण किया जा सकता है। पाइप एक निश्चित गहराई तक कीचड़ या जमी हुई सतह में सफलतापूर्वक डूब जाता है।
नदी पर ब्रिज कैसे बनता है?
नदी या समुद्र में पुल निर्माण के लिए पहला कदम उपयुक्त काम करने का होता है, जिसमें समुंद्र की ऊपरी सतह के नीचे या नदी के बेड के नीचे जमीन के खोदन और साफ-सफाई शामिल होती है। पुल के निर्माण के लिए उसके आकार और डिजाइन को तैयार किया जाता है, फिर पानी में खम्बो को खड़ा कर चोकोर या गोल आकार बनाया जाता है, पुल के ढांचे का निर्माण करने के लिए स्थल पर अलग-अलग प्रकार के क्रेन और मशीनरी का उपयोग किया जाता है। इसमें पुल के पिलर, बीम और खंभे शामिल होते हैं। जिसके बीच के पानी को हटा दिया जाता है और जरुरी सामान जैसे सीमेंट आदि से पिल्लर का निर्माण कर दिया जाता है, जब सारे पिल्लर तैयार हो जाते हैं और अच्छे से सुख कर मजबूत हो जाते हैं तो उसके ऊपर पूल का निर्माण कर दिया जाता है। अंतिम चरण में, सुरक्षा सुविधाओं जैसे कि रेलिंग, साइडवॉक, और रोड संचार उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
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