प्रारम्भ से ही सनातन धर्म में हर जीव जंतु, प्रकृति की पूजा की भी जाती है और उन्हें सम्मान दिया जाता है। सुबह सूर्य की पूजा करने और सूर्य को जल चढ़ाने की भी परंपरा है, सूर्य को देवता माना जाता है और उनकी भी पूजा की जाती है। सूर्य को जल अर्पित करते समय कुछ नियमों का पालन करना होता है तब ही लाभ प्राप्त होता है।
सूर्य को पंच देवताओं में स्थान प्राप्त हैं और इनका पाँचवां स्थान है, तथा नवग्रहों में इनका नवां स्थान है। सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है, इससे सारे गृहों के नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाते हैं और कई तरह के लाभ मिलते हैं, इसलिए प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित किया जाता है। हिन्दू धर्म में जल अर्पित करने को अर्घ्य कहा जाता है और सूर्य अर्घ्य मंत्र भी होता है। यदि इस मंत्र का जाप कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाए, तो शीघ्र लाभ मिलता है।
किस समय जल अर्पित करना चाहिए
सूर्य को जल अर्पित करने का सबसे उचित समय सूर्य के उदय होने के बाद के एक घंटे को बताया गया है। वैसे इसके बाद भी 3 घंटों तक जल अर्पित करने का समय होता है, परंतु आप शीघ्र लाभ चाहते हैं तो आपको उदय होने के एक घंटे के बीच में जल अर्पित करना चाहिए।
सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
सूर्य को अर्घ्य देने से कई लाभ मिलते हैं, ऐसा करने से सारे गृहों के नकारात्मक खत्म प्रभाव होते हैं और सूर्य देव की कृपा आप पर बनी रहती है। जिन लोगों के जीवन में समस्याएँ चल रही हैं, उनकी सारी समस्याएँ खत्म हो जाती हैं तथा समय के साथ सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने लगती हैं। यदि किसी प्रकार के विवाद चल रहे हैं, तो उनसे जल्दी ही छुटकारा मिल जाता है और राजनीति में भी काफी लाभ मिलता है। सूर्य को जल अर्पित करने से सारे रोगों का अंत होता है, शरीर स्वस्थ रहता है, दरिद्रता खत्म होती है, और आर्थिक लाभ भी होता है। जिन लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है या व्यापार में लाभ नहीं हो रहा है, उन्हें प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
सूर्य को जल अर्पित करने के नियम
सूर्य को हमेशा उसके उदय होने के कुछ ही मिनटों बाद जल अर्पित करना चाहिए। हमेशा ताम्बे के लौटे में ही जल देना चाहिए, स्नान के बाद तथा पूर्व दिशा में मुख कर ही अर्घ्य देना चाहिए। जल चढ़ाते समय हाथ सिर से ऊपर होना चाहिए, सीने के सामने लौटा रख कर कभी भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए, जल में लाल चंदन मिला कर जल अर्पित करने से काफी लाभ मिलता है।
सूर्य अर्घ्य मंत्र
सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ मंत्रों का जाप किया जाए, तो सूर्य देव आपकी सभी इच्छाएं जल्दी ही पूरी करते हैं और आपको स्वस्थ और सुखमय जीवन प्रदान करते हैं। सूर्य को आरोग्य का देवता भी माना जाता है, इसके लिए उनकी आराधना करने से किसी भी प्रकार का रोग आपको नहीं घेरता है।
- ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम:। ऊँ खेचराय नम:
- ऊँ महासेनाय नम:। ऊँ तमसे नम:।
- ऊँ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्याक्षितेजसे हो वाहिनि वाहिनि स्वाहेति।
- तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।
- सहस्त्ररश्मि: शतधा वर्तमान: पुर: प्रजानामुदत्येष सूर्य:।
- विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतीरूपं तपन्तम्।
- हंसो भगवाञ्छुचिरूप: अप्रतिरूप:।
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