जब भी हम बात करते हैं रेसिंग कारों की तो सबसे पहले हमारे दिमाग में जिस ब्रांड का नाम आता है वो है फेरारी। वैसे तो फेरारी कार यूं ही काफी महंगी है लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी फेरारी कार भी हैं जो अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज करा चुकी हैं और एंटीक बन चुकी हैं। ऐसे में इन कारों की कीमत वास्तविक कीमत से कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे ही हाल ही में 1962 की एक फेरारी की नीलामी हुई है जिस वजह से यह दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फेरारी कार बन गयी है। यह 1962 फेरारी 250 GTO है।
430 करोड़ रुपये में बिकी
वैसे तो उम्मीद लगाई जा रही थी कि यह 60 साल से भी ज्यादा पुरानी कार दुनिया की सबसे महंगी कार बन सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं और यह दुनिया की दूसरी सबसे महंगी कार बन कर रह गयी। इसे नीलामी में 51.7 मिलियन डॉलर यानि 430 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में खरीदा गया है। हालांकि इसके नए मालिक के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
वैसे आपको बता दें कि दुनिया की सबसे महंगी कार एक मर्सिडीज 300 SLR उहलेनहौट कूप है, जो नीलामी में 143 मिलियन डॉलर (1000 करोड़ रुपये से अधिक) में बिकी थी।
क्या है इसमें ख़ास?
इस कार में 390 एचपी पावर जेनरेट करने 4.0-लीटर का 2,953 सीसी वाला वी-12 इंजन लगा है, जो जर्मन नर्बुर्गरिंग सर्किट पर 1,000 किमी की रेंज देता है। इस इंजन में दो सिलेंडर लगे होते हैं। यह इंजन 7500 RPM पर 296 HP की पावर और 5500 RPM पर 294 NM का टॉर्क जनरेट करता है। इसमें 5 स्पीड गियर बॉक्स है और 6.1 सेकंड में यह कार 0 से 100 की स्पीड पकड़ सकती है।
इसके अलावा इस कार के केवल 36 मॉडल ही बनाये गए थे जिस वजह से यह पहले ही ख़ास थी लेकिन इसे और ख़ास बनाता है इसका 4 330 एलएमबी (ले मैन्स बर्लिनेटा के साथ) GT रेसिंग कार में से एक होना। इसका चेसिस नंबर 3765 है और इसे 34 में से 14 नंबर टीपो कोचवर्क के साथ बनाया गया था।
यदि बात करें इसकी टॉप स्पीड की, तो यह 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकती है।
इस कार ने फेरारी क्लब ऑफ अमेरिका में कैवेलिनो क्लासिक में एफसीएस प्लैटिनम पुरस्कार जीता था। इसके अलावा 2011 पेबल बीच कॉनकोर्स डी’एलिगेंस में जीटीओ वर्ग में भी दूसरा स्थान प्राप्त किया था।
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