भारत में अनेक त्यौहार मनाएं जाते हैं क्योकि यहाँ अलग-अलग सभ्यताएँ निवास करती है तथा सभी धर्म के लोग यहाँ साथ मिल कर त्यौहार मनाते हैं। हिन्दू धर्म का एक विशेष त्यौहार छठ पूजा का पर्व आने वाला है, यह त्यौहार खास कर बिहार, झारखंड में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर किया जाने वाला व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योकि इस यह व्रत 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है।
2023 में छठ पूजा कब है?
छठ पर्व का यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारम्भ होता है तथा सप्तमी के दिन अंतिम दिन होता है। चतुर्थी पर नहाय खाय, पंचमी पर खरना मनाया जाता है, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के बाद ही व्रत सम्पन्न होता है। इस बार यह पर्व 17 नवम्बर से प्रारम्भ हो रहा है, 17 को नहाय खाय जिसके बाद 18 को खरना और 19 नवम्बर को छठ का त्यौहार मनाया जाएगा।
नहाय खाय वाले दिन व्रती नदी में स्नान करती है जिसके बाद नये कपड़े धारण किये जाते हैं और व्रत की तैयारी की जाती है। इस दिन व्रती शुद्ध शाकाहारी भोजन करती है जिसके बाद ही घर में अन्य सदस्य भोजन करते हैं।
छठ पर्व के दुसरे दिन खरना मनाया जाता है, खरना खरना के दिन उपवास रखा जाता है और छठी मय्या की प्रसाद बनाई जाती है, खरना वाले दिन गुड़ की खीर बनाने की परम्परा है तथा सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है।
छठ पर्व पर व्रत करने के लाभ
छठ पूजा पर सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की पूजा की जाती है, निर्जला व्रत रखा जाता हैं तथा माना जाता है कि ऐसा करने से बच्चो पर किसी तरह की कोई विपत्ति नहीं आती है, उन्हें एक उज्जवल भविष्य मिलता है तथा वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं। पर यह व्रत 36 घंटे का होता है क्योकि यह खरना के बाद प्रारम्भ हो जाता है तथा सप्तमी पर सुबह सूर्य को जल अर्पित करने के बाद ही सम्पन्न होता है। इसीलिए इसे अत्यधिक कठिन माना गया है यह निर्जला उपवास होता है इसीलिए इसमें जल का सेवन भी नहीं करते हैं।
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