माँ दुर्गा के भक्त नवरात्री के समय माता रानी को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं, उनकी पूजा आराधना करते हैं और उनके मंदिर में जा कर माथा टेकते हैं। पुरे नौ दिन भक्त माता की सेवा में लगे रहते हैं और उनकी भक्ति में खो जाते हैं, मन्दिर में आने वाले भक्तो के लिए खाने की, पानी की, रुकने की व्यवस्थाए भी की जाती है और हर भक्त को माता का प्रशाद मिले इसकी व्यवस्था भी कि जाती है। नवरात्री के दौरान बहुत से धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं और माता के नौ रूपों की पूजा पुरे विधि विधान के साथ की जाती है। माँ दुर्गा के नौ रूप हैं मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री। और नवरात्री के दौरान घट स्थापना की जाती है तथा देवी को उनकी पसंद के अनुसार भोग भी लगाया जाता है, हर दिन एक दिवि को समर्पित है। यदि आप नहीं जानते हैं कि कोइंसी देवो कोनसा भोग प्रिय है तो आज आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
दुर्गा पूजा में बहुत सी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसमे नारियल, दीपक, सिंदूर आदि वस्तुएं शामिल है। साथ ही माता रानी को भोग भी अर्पित किया जाता हैं, यदि माँ दुर्गा के स्वरूपों को उनकी पसंद के अनुसार भोग अर्पित किया जाएँ तो भक्त को जल्द ही पुन्य फल मिलते हैं।
देवियों के प्रिय भोग
मां शैलपुत्री
यहाँ माँ दुर्गा का पहला रूप है, जिनकी पूजा सबसे पहले दिन की जाती है। इनका जन्म हिमालय के घर हुआ था, जिस कारण इनका नाम शैलपुत्री रखा गया। इन्हें घी से बनी चीजो का भोग लगाना चाहिए, ऐसा करने से आसानी से प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्त की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण कर देती है। आप घी से बना हलवा, लड्डू आदि का प्रशाद लगा सकते हैं, पर ध्यान रहे आपको देशी घेई का प्रयोग करना है।
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा नवरात्री के दुसरे दिन की जाती है और ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। माँ ब्रह्मचारिणी को पंचामृत तथा शक्कर प्रिय है, इसीलिए इन्हें इसका भोग लगाना चाहिए जिससे की लाभ प्राप्त हो सकें।
मां चंद्रघंटा
दुर्गा माँ का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा है, जो सिंह पर सवार रहती है और इनके माथे पर अर्द्ध चन्द्र बना हुआ होता है। मां चंद्रघंटा को दूध अत्यधिक प्रिय है इसीलिए इन्हें दूध से बनी चीजो का भोग लगाया जा सकता है, आप दूध से बनी मिठाई, खीर आदि का भोग माँ को लगा सकते हैं।
मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा की पूजा नवरात्री के चौथे दिन होती है, और इन्हें मालपुए काफी प्रिय है, जो भक्त मां कुष्मांडा को मालपुए का प्रशाद अर्पित करता है उनसे माँ शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है। माँ को प्रशाद अर्पित करने के बाद उसे भक्तो में बाट दिया जाता है ओए स्वयं ग्रहण कर लिया जाता है।
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता की पूजा पांचवे दिन की जाती है. इन्हें मोक्ष के दरवाजे खोलने वाली देवी के र्रोप में पूजा जाता है। इन्हें फल अर्पित करना चाहिए, खास कर इन्हें केले का भोग लगाया जाता है पर आप किसी भी फल का भोग लगा सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
मां कात्यायनी
दुर्गा माँ के छते रूप में पूजी जाने वाली देवी मां कात्यायनी को मीठे पान, शहद या फिर लौकी का भोग लगाया जाता है। मां कात्यायनी एक ऋषि की पुत्री है इसी के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया है, यह अपने भक्तो की मनोकामनाएँ आसानी से पूर्ण कर देती है।
मां कालरात्रि
यह माँ दुर्गा का सातवा रूप है, नवरात्री के सातवें दिन माँ कालरात्री की पूजा की जाती है, इनके कई नाम है जैसे भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी आदि। इन्हें गुड़ अत्यधिक प्रिय है इसीलिए नहे हमेशा गुड़ की प्रशाद ही अर्पित की जाती है।
महागौरी
देवी महागौरी सम्पूर्ण सफेद वस्त्र में दिखाई देती है और इन्हें दाहिने हाथ में त्रिशूल विराज मान है। माँ महागौरी ने ही देवो पार्वती रूप में भगवान शंकर से विवाह किया था। महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है और ऐसा करने वाले भक्त की सारी समस्याएँ खत्म हो जाती है।
मां सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा का नवाँ रूप सिद्धिदात्री के ना मसे जाना जाता है जिन्हें सिद्धि प्रदान करने वाली देवी कहा जाता है। इनकी पूजा के साथ ही भक्त की सारी कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। इन्हें हलवा पूड़ी और खीर का भोग लगाना चाहिए, और भक्तो में इस दिन यही प्रशाद वितरित करना चाहिए।
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