हमारे देश का संविधान डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा ही लिखा गया है, यह उन महापुरुषों में गिने जाते हैं जिन्होंने इस देश के लिए काफी कुछ किया है तथा अपना पूरा जीवन देश के उद्धार में लगा दिया था।
आंबेडकर जी एक अर्थशास्त्री थे जिन्होंने समाज में सुधार लाने का काम किया और एक महान राजनीतिज्ञ कर उभरें। ऐसे महान पुरुष की आज पुण्यतिथि है, आंबेडकर जी ने दलितों के लिए भी काम किया था और उन्हें उनकी अधिकार दिलाने की कोशिश भी थी। साथ ही इन्होने श्रमिको और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी बहुत कुछ किया था।
जन्म
भीमराव आम्बेडकर का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, 14 अप्रैल, 1891 को जन्मे भीमराव आम्बेडकर एक महान समाजसुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ थे। यह हमेशा से ही छुआ छुत और ऊंच नीच को समाज से खत्म करना कहते थे, इसके लिए इन्होने दलित बौद्ध आंदोलन भी किया था। यह जन्म से दलित थे पर 1951 में इन्होने बोद्ध धर्म अपना लिया था। यह मध्यप्रदेश के महू में जन्मे थे एवं इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माँ का नाम भीमाबाई था।
भीमराव जी के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में काम किया करते थे। भीमराव को बचपन से ही जाति के कारण छुआ छुत का सामना करना पड़ता था और कई बार इस कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है और उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।
विवाह
भीमराव का विवाह मात्र 15 साल की उम्र में ही करवा दिया गया था, उनकी पत्नी का नाम रमाबाई था। शादी के समय रमाबाई की उम्र केवल 9 साल ही थी, इस समय देश में बाल विवाह होना आम बात थी तथा अक्सर कम उम्र में ही विवाह कर दिए जाते थे। दुर्भाग्य से रमाबाई का निधन 1935 में हो गया था जिसके बाद भीमराव जी ने दूसरा विवाह भी किया, उनका यह विवाह सविता आम्बेडकर से 1948 में हुआ था इन्हें माइसाहेब भी कहा जाता था।
शिक्षा
1900 में भीमराव ने पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, उनके स्कूल का नाम शासकीय हाईस्कूल था जिसे अब प्रतापसिंह हाईस्कूल के नाम से जाना जाता है। स्कूल में उनका नाम भिवा था। 1914 में उन्हीने अंग्रेजी में चौथी कक्षा उत्तीर्ण की थी और अछूत कहे जाने वाले लोगों ने उनका सम्मान भी किया एवं बुद्ध की जीवनी भेट के रूप में समर्पित की। बस तभी से भीमराव बुद्ध से प्रभावित हुए और उनके जीवन के बारें में अधिक पढने लगें। भीमराव ने एल्फिंस्टन कॉलेज से B.A. की पढाई की थी तथा बॉम्बे विश्वविद्यालय से डीग्री प्राप्त की थी। 1915-17 में उन्होंने M.A. पूर्ण किया था जो उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से की थी।
कार्य
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने छुआछूत का काफी विरोध किया था तथा इसे गुलामी से भी खराब बताया था। जातिगत भेदभाव को खत्म करना चाहते थे और दलितों और अन्य कई धार्मिक समुदायों के लिये अलग निर्वाचिका बनाने की बात कही थी और उन्हें आरक्षण भी देने की वकालत की थी। अछूतों को मन्दिर में जाने का अधिकार, सार्वजनिक जगहों से पानी पिने के अधिकार मिले इसलिए संघर्ष किया था।
हमारे देश के संविधान का निर्माण किया था और यह भारतीय संविधान को 02 साल 11 महीने और 17 दिन में तैयार हुआ था, 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित न करने के विरोध में भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
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