भारत में कई सुंदर सुंदर जगहें हैं, जहा देश विदेश से लोग घुमने के लिए आते रहते हैं। भारत में हर तरह के स्थान है जैसे पर्वत, समुंद्र, रेगिस्तान, जंगल, तट और द्वीप भी। वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप पर जाकर अपनी तस्वीर साझा की है, जिसके बाद लक्षद्वीप काफी चर्चाओं में बना हुआ है और मालदीव जैसे देश के टूरिज्म पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। पर क्या आप जानते हैं कि लक्षद्वीप भारत का हिस्सा इसलिए है क्योंकि सरदार पटेल ने इसे भारत में मिलाने के लिए कोशिश की थी।
लक्षद्वीप पर 97% है मुस्लिम आबादी
हमारे देश में बहुत से समुद्री तट है, और लक्षद्वीप एक ऐसी जगह है जहा हर साल हजारों लोग जाते हैं। यह भारत का हिस्सा है जहा पहुचने के लिए कोच्ची से जहाज लेना होता है फिर 365 Km दूर बीच समुद्र के बीच में लक्षद्वीप मोजूद है। लक्षद्वीप केंद्रशासित प्रदेश है जहाँ की आबादी में 97 प्रतिशत मुस्लिम है और आज़ादी के समय पाकिस्तान इस लक्षद्वीप को अपने हिस्से में लेना चाहता था पर सरदार पटेल की समझदारी से यह आज भारत का हिस्सा है।
पाकिस्तान की थी लक्षद्वीप पर नज़र
बटवारे के समय भारत ने अपना एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया था पर इसके बाद भी पाकिस्तान की नजर भारत के कई हिस्सों पर बनी हुई थी को आज भी है। आज़ादी के साथ देश का बटवारा भी हुआ और बटवारे के बाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनें थे लियाकत अली खान। और लियाकत अली खान सोच रहे थे की लक्षद्वीप एक अच्छी जगह है, यहाँ मुस्लिम आबादी उस समय भी ज्यादा ही थी जिस कारण लियाकत अली खान इसे पाकिस्तान में मिलाने की योजना बना रहे थे।
उन्होंने पाकिस्तान आर्मी को लक्षद्वीप भेजा ताकि वह लक्षद्वीप पर कब्जा कर सकें पर इसकी जानकारी सरदार पटेल को मिली तो उन्होंने तुरंत ही भारत से आरकोट रामास्वामी मुदालियर और आरकोट लक्ष्मणस्वामी मुदालियर को लक्षद्वीप भेजा, यह मैसूर के 24वें और अंतिम दीवान थे। वह पाकिस्तान से पहले लक्षद्वीप पहुच गये और वहां तिरंगा झंडा फहरा दिया जिसके बाद पाकिस्तान सेना वापस लौट गयी। 1956 में भारत सरकार ने मौजूद के सभी द्वीपों को मिलाया और केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जिसके बाद 1973 में इन द्वीपसमूहों का नाम लक्षद्वीप कर दिया गया था।
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