युद्ध में हमेशा मारकाट और खूनखराबा ही होता है पर एक ऐसा युद्ध भी चला है जिसमे किसी शख्स की जान तक नहीं गयी और यह लगभग 30 साल तक चला था। आज तक कई युद्ध हो चुके हैं और इनमे लाखों लोगों ने जान गवाई है। हम सभी रूस और युक्रेन, इजराइल और हमास युद्ध से वाकिफ है, यहाँ कितने ही निर्दोष लोगों ने अपनी जान गवाई है। पर एक युद्ध ऐसा भी था जिसमे एक भी सेनिक तक की जान नहीं गयी है और नहीं किसी नागरिक को नुकसान हुआ। यह युद्ध किसी छोटे मोटे देशो के बीच नहीं था बल्कि दो बड़े देशो के बीच था जिनके पास बड़ी-बड़ी सेनाएं है।
30 वर्षों तक चला शांतिपूर्ण युद्ध
कनाडा और डेनमार्क के बीच 30 साल से यह युद्ध चला आ रहा था, इस युद्ध की शुरुआत 1970 में हुई थी और यह युद्ध केवल एक बंजर द्वीप के लिए चला आ रहा था। इस द्वीप का नाम हंस आइलेंड है जो एक बंजर द्वीप है जिस पर कोई प्राकृतिक संसाधन भी नहीं है फिर भी इसके लिए इतना लम्बा युद्ध चला और दो बड़े मुल्क डेनमार्क और कनाडा आपस में कई वर्षो तक झगड़ते रहें।
यह दोनों देश कई वर्षों से इस द्वीप पर अपना दावा करते आये थे और बार-बार अपना झंडा इस द्वीप पर फहरा कर आ जाते थे और दुसरे देश का झंडा हटा दिया करते थे।
तनाव को देखकर 1933 में लीग ऑफ़ नेशंस ने इस मामले पर फैसला सुनाया और इस आइलैंड पर डेनमार्क का हक बता कर डेनमार्क के पक्ष में फैसला सुनाया। पर जब लीग ऑफ नेशंस खत्म हुई तो कनाडा ने इस फैसले को मानने से मना कर दिया और द्वीप पर फिर से अपना झंडा लगा कर वेलकम टू कनाडा लिख दिया पर जैसे ही डेनमार्क के मंत्री को इस बारे में पता चला वह द्वीप पर पहुचे और अपना झंडा लगा दिया जिसके बाद वहा शराब की बोतल और एक नोट छोड़ा जिस पर लिखा था डेनमार्क में आपका स्वागत है।
खत्म हो चुका है मामला
ऐसा कई वर्षो तक चलता रहा और इसे ‘व्हिस्की युद्ध’ का नाम दिया क्योंकि दोनों देश झंडे के साथ बोतल छोड़ दिया करते थे। पिछले साल यह इस मामले को लेकर दोनों देशो के बीच समझोता हो चुका है डेनमार्क के किनारे वाला भाग डेनमार्क और कनाडा की तरफ वाला भाग कनाडा को मिला है और अब यह मामला खत्म हो चुका है।
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