महाराणा प्रताप को कौन नहीं जानता है और उनका घोड़ा चेतक भी काफी प्रसिद्ध है, जो अपनी बहादुरी और वफादारी के लिए जाना जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि महाराणा प्रताप के पास एक हाथी भी था जो चेतक की तरह ही वफादार था , इस हाथी ने महाराणा प्रताप का साथ मुगलों के खिलाफ हो रहे युद्ध में भी दिया था।
महाराणा प्रताप जैसे महान सम्राट मुगलों के सामने किसी भी परिस्थिति में नहीं झुके और अपनी सेना जिसमे हाथी घोड़े सभी थे पर उनकी संख्या मुगलों की सेना से कम थी उन्ही के साथ युद्ध में उतर गये थे। महाराणा प्रताप ने अकबर के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध किया था जिसमे उनके घोड़े चेतक ने उनका साथ दिया था, इसी के साथ उनका एक हाथी ने भी उनका साथ दिया था, आइयें जानते हैं कि महाराणा प्रताप के इस वीर हाथी का नाम क्या था?
महाराणा प्रताप के हाथ का नाम
महाराणा प्रताप के इस वीर और बलवान हाथी का नाम राम प्रसाद था, जो मुगल सेना को काफी नुकसान पहुचा रहा था और इसी के चलते अकबर ने इसे जल्द से जल्द बंदी बनाने का निर्णय लिया और वह इसमें सफल भी रहा। अकबर ने उसे जैसे ही बंदी बनाया और एक जगह पर रखा तभी से रामप्रसाद ने खाना छोड़ दिया और इसी के कारण अकबर के काराग्रह में उसकी मौत हो गयी।
अकबर के द्वारा पकड़ने की योजना बनाई गयी
महाराणा प्रताप के इस बहादुर और वफादार हाथी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं, महाराणा प्रताप अपने घोड़े की तरह इसे भी प्यार करते थे और हमेशा इसकी देखरेख में अपना समय देते थे। रामप्रसाद को अकबर के द्वारा पकड़ने की योजना बनाई गयी थी, क्योकि उसे आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता था, हल्दीघाटी युद्ध के समय अकबर ने महाराणा प्रताप को भी पकड़ने के आदेश दिए थे और हाथी को पकड़ने के लिए अकबर की सेना 7 हाथियों का एक चक्रव्यूह तैयार किया, और इन 7 हाथियों पर 14 महावत थे और इस चक्रव्यूह की मदद से ही महाराणा प्रताप को पकड़ा जा सका था। यह हाथी शाही सिसोदिया कबीले द्वारा प्रशिक्षित था और अन्य सभी हाथियों से ज्यादा बुद्धिमान भी था, और इस हाथी ने महाराणा प्रताप की जान भी बचाई थी।
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