हमारे देश में पुराने समय में कई ऐसे गद्दार हुए हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए अंग्रेजो और मुगलों का साथ दिया था और देश के साथ गद्दारी की थी। इन गद्दारों की वजह से ही अंग्रेज और मुगल भारत पर कब्जा करने में सफल रहे थे। आज हम आपको इन्ही गद्दारों में से कुछ गद्दारों के नाम बताने वाले हैं।
वैसे तो कई गद्दार राजाओ ने दुश्मनों का साथ दिया और देश को बर्बाद किया है पर आज हम पांच ऐसे गद्दारों के बारें में बताने वाले है, जिनका नाम इतिहास में इस लिए शामिल है क्योंकि उन्होंने देश को छोड़ कर अपने स्वार्थ को महत्व दिया और अपने देश के राजाओं को पराजित करवाया। आगे भी जब गद्दारी की बात की जाएगी तो इन पांच गद्दार राजाओं के नाम जरुर लिए जाएँगे।
इन राजाओं के नाम इतिहास की किताब में कुछ इस तरह दर्ज हो चुके हैं कि शायद ही इन्हें कोई भूल पाएगा और इनकी गद्दारी की कीमत आज भी देश के लोगों को कही न कही चुकानी पड़ रही है। इन गद्दार राजाओं ने दुश्मनों का साथ तो दिया पर इन्हें इसके बदले में कुछ मिला नहीं बल्कि अंग्रेज या मुगलों के द्वारा मौत के घाट उतर दिया गया। यदि वः उस समय देश का साथ देते तो आज देशवासी इनका नाम सम्मान से लेते।
देश के गद्दार राजाओं के नाम
जयचंद
जयचंद नहीं चाहता था कि पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का सिंहासन मिले पर सिंहासन मिलने के बाद वह बहुत ही गुस्सा था और साथ ही पृथ्वीराज ने उसकी बेटी संयोगिता से प्रेम विवाह कर लिया था, जिसके बाद वह पृथ्वीराज को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान चुका है। मोहम्मद गौरी दिल्ली पर राज करना चाहता था और इसमें जयचंद ने उसका साथ दिया जिसके कारण पृथ्वीराज चौहान की हार हुई और एक मुग़ल दिल्ली कि गद्दी पर बैठ चूका था।
मानसिंह
मानसिंह राजपूत थे पर उन्होंने मुगलों का साथ दिया था बल्कि वह महाराणा प्रताप का साथ दे सकते थे, मानसिंह मुगलों की सेना प्रमुख थे, दुसरी तरह महाराणा प्रताप मुगलों से लड़ रहे थे यहाँ तक कि उन्हें जंगलो में रह कर घास कि रोटी भी खाना पड़ी थी। और एक तरह मानसिंह अकबर की सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और महाराणा प्रताप को मारने की योजना बना रहा था। महाराणा प्रताप की छोटी सी सेना ने अकबर की बड़ी सी सेना से कड़ा मुकाबला किया और महाराणा प्रताप तथा मानसिंह का मुकाबला भी हुआ जिसमे वह मरते मरते बचा पर खिलजी बादशाह से युद्ध करने गया था जहाँ वह सन १६१७ ईस्वी में मारा गया।
मीर जाफर
मीर जाफर भी वह गद्दार हैं जिस्मा नाम भी एक बड़े गद्दार राजा के रूप में लिया जाता आ रहा है, मीर जाफर राजा बनना चाहता था और उनसे सिराजुद्दौला के साथ गद्दारी की और अंग्रेजो से मिल गया। सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब थे पर मीर जाफर ने उनसे ही गद्दारी की और ब्रिटिश हुकुमत आ गयी। यह रोबर्ट क्लाइव से मिल गया और नवाब बनने के सपने को पूरा करना चाहता था। आज मीर जाफर नाम इतना बदनाम हैं कि को भी इस नाम को नहीं रखता है और एक गाली के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।
महाराजा नरेंद्र सिंह
इन्होने सिखों के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था, सन 1857 में सिखों ने अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया था, पर गद्दार पटियाला के राजा ने अंग्रेजो की काफी मदद की उन्हें जरुरी जानकारी और हथियार दिए ताकि वह सिखों का सामना कर सके और उनके सामने हार न जाएँ, सिखों का साथ न देते हुए उन्हीने अंग्रेजो का साथ दिया जिस कारण उन्हें गद्दार राजा कहा जाता है। वह चाहते तो अंग्रेजो के खिलाफ ओह रहे इस आन्दोलन को दबाने की जगह बड़ावा दे सकते थे।
राजा आभ्भीराज
राजा आभ्भीराज ने सिकन्दर का साथ दिया था इस लिए उसे गद्दार माना जाता है, जब सिकन्दर ने तक्षशिला पर आक्रमण किया था तब राजा आभ्भीराज ही राजा था, राजा आभ्भीराज अपने ममेरे भाई से ईर्ष्या करता था इसीलिए उसमे सिकंदर का साथ दिया था, इसके बाद सिंकन्दर ने पुरस्कार स्वरूप तक्षशिला का राजा बने रहने दिया और बाद में सिंधु के चिनाब संगमक्षेत्र तक का शासन उसे सौंप दिया। चन्द्रगुप्त ने इस गद्दार राज अक अंत किया था।
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