जब भी भीड़ किसी तरह का आन्दोलन करती है और आन्दोलन उग्र हो जाता है तो पुलिसकर्मी आंसू गैस के गोले छोड़ते हैं, लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है और यह आंसू गैस के गोले किस तरह काम करते हैं तथा कैसे बनाए जाते हैं?
भीड़ को तित्तर बितर करने के लिए प्रशासन आंसू गैस के गोले छोड़ देती है, जिससे की जमा भीड़ इधर उधर हो जाती है और उन पर काबू पाना सम्भव हो पाता है। दंगो के समय, या उग्र हो चुके आन्दोलन के समय इस तरह के आंसू गैस के गोले छोड़े जाते हैं, ताकि सुरक्षा व्यवस्था को बनाया रखा जा सकें। कई बार आन्दोलनकारी ऐसे स्थान पर पहुचने की कोशिश करते हैं जहां आम जनता का जाना मना होता है। या फिर किन्ही कारणों से उस स्थान को बंद कर दिया गया है, ऐसे में यदि भीड़ ऐसे किसी क्षेत्र में घुसना चाहती है तो उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों इस्तेमाल किये जाते हैं आंसू गैस के गोले?
आंसू गैस के गोले एक ऐसी गैस छोड़ते हैं जिससे व्यक्ति को खांसी चलने लगती है और आंसू आने लगते हैं, कई लोगों को उल्टी तक हो जाती है। इसलिए सभी इससे दूर भागते हैं और खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। इससे नुक्लने वाला धुँआ बहुत ही बुरा असर छोड़ता है और आँखों को काफी ज्यादा परेशान करता है, जो भी इस आंसू गैस के गोले की चपेट में आते हैं उनके आंसू रुकना बंद नहीं होते हैं और वह लगातार खांसते रहते हैं। यह गोले भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किये जाते हैं जो कानून व्यवस्था को बिगड़ते रही होती है या देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुचा रही होती है। आंखों तेज जलन होने लगती हैं और व्यक्ति परेशान हो जाता है जिससे कि उसे उस जगह को छोड़ कर जाना ही पड़ता है और प्रशासन व्यवस्था को सम्भाल लेता है।
कैसे बनता है ये गोला?
यह गोला केवल उन लोगों के द्वारा बनाया जा सकता है जिनको सरकार परमिशन देती है, बिना सरकार की अनुमति के इनका निर्माण करना अपराध है और पुलिस प्रशासन भी बिना अनुमति के इनका उपयोग नहीं कर सकती हैं पर हालत काबू में न होने पर वह इसका उपयोग कर सकते हैं, यह गोला Chloroacetophenone (CN) और Chlorobenzylidenemalononitrile (CS), Bromobenzylcyanide, Dibenzoxazepine आदि से बनाया जाता है।
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