भारत में गाय को दुध उत्पादन के लिए पाला जाता है। यह एक प्रमुख दुधदार पशु है जिसके दूध से हम दुध, दही, घी, मक्खन, दूध की मिठाईयाँ और अन्य उत्पाद बनाते हैं। इसके अलावा, गौ मानव समाज के लिए प्राचीनतम और पवित्र जानवरों में से एक मानी जाती है। गाय के चार पैर होते हैं, जिनमें बलवान पंजे होते हैं जो उसे भूमि पर स्थिरता प्रदान करते हैं।
गाय की नस्लों में कई प्रकार की होती हैं, जैसे गिर, साहीवाल, जर्सी, और होलस्टाइन आदि। प्रत्येक नस्ल की खासियतें और उत्पादकता में थोड़ी भिन्नता होती है।
गाय की अधिकतम उम्र 20 से 25 वर्ष होती है। यह 9 महीने के गर्भावस्था के बाद एक बच्चा जन्म देती है। बच्चे को दो साल तक माता के दूध से पाला जाता है और फिर वह भोजन का आधा हिस्सा खाने लगता है।
भारत में, गाय को सम्मान और पूजा की जाती है, और इसे हिन्दू धर्म में माता के रूप में पूजा जाता है। गाय को ‘कमधेनु’ भी कहा जाता है, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। गाय की एक नस्ल है जिसका नाम है डांगी, और यह आम गाय की तुलना में ज्यादा दूध देती है। गाय औसतन एक ब्यान्त में 800 लीटर तक दूध दे सकती है।
800 लीटर दूध देने वाली गाय
हमारे देश में आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर आधारित है और कृषि के माध्यम से ही अपनी जीविका चलाती है। कृषि के क्षेत्र में पशुपालन का भी काफी ज्यादा महत्व है और इसके साथ ही डेरी व्यवसाय भी काफी ज्यादा पलफुल रहे हैं। डेरी फार्म डालने के लिए दूध देने वाली अच्छी नस्लों की गाय या भैंस की जरूरत होती है और यह अच्छा ख़ासा पैसा भी कमा कर दे सकती है।
एक ऐसी गाय है जो काफी ज्यादा दूध देती है और दूध का डेरी फार्म डालने वाले के लिए वरदान शाबित हो सकती है। इस गाय की नस्ल का नाम है डांगी। यह नाम गुजरात के डांग से लिया गया है और पुरे देश में प्रसिद्ध हो गया है।
गाय की संरचना
यह गाय साधरण रूप से एक ब्यान्त में 400 लीटर तक दूध दे सकती है पर यदि इसकी अच्छे से देख रेख की जाएँ तो यह और भी ज्यादा मात्रा में दूध दे सकती है। इसका वजन 250 Kg तक हो सकता है और ऊंचाई औसतन 113 सेमी तक होती है। इसका सफेद रंग और शरीर पर लाल या काले धब्बे होते हैं। सींग छोटे 12-15 सेमी तक हो सकते हैं, कठोर खुर और त्वचा ढीली, मुलायम और लचीली होती है।
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