हम आपके लिए अजब-गजब प्रश्नों के उत्तर लाते रहते हैं, आज के इस लेख में आप जानेंगे कि भंडारा और लंगर में क्या अंतर है? (Difference between Bhandara and Langar)
भंडारा और लंगर दोनों में खाना खिलाया जाता है और यह धार्मिक कार्य होता है, यह मंदिर और गुरूद्वारे में चलाए जाते हैं। वह लोग बड़े भाग्यवान होते हैं जिनकी किस्मत में लंगर या भंडारे का खाना आता है। भगवान का भोग हर किसी की किस्मत में नहीं होता है और इसी के कारण व्यक्ति लंगर या भंडारे का खाना जरुर खाते हैं। धार्मिक स्थानों पर इस तरह के लंगर और भंडारे चलते हैं पर इनमे भी अंतर होता है क्या आप जानते हैं कि भंडारा और लंगर में क्या अंतर है? यदि नहीं तो आगे आपको इस बारे में जानकारी दी गयी है, इसे आपको जरुर पढ़ना चाहिए।
भारत एक ऐसा देश है जहां अलग-अलग धर्मों के लोग मिल जुल कर एक साथ रहते हैं, इसीलिए इसे एक महान देश कहा जाता है। हमारा मानना है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है और यह हर किसी का कर्तव्य है कि कोई भी भूखा न सोए। धर्मो मे भी इस बात को लेकर जोर दिया गया है, भंडारे का लक्ष्य केवल गरीबो को खाना खिलाने तक ही सिमित नहीं है। यहा जो खाना परोसा जाता है वह प्रसाद रुपी होता है तथा भगवान की प्रसाद को शुभ माना जाता है इसीलिए इसे खाना लोग अपना सोभाग्य समझते हैं।
भंडारा और लंगर में अंतर
कोरा के यूजर के अनुसार भंडारे और लंगर होते तो एक समान ही है जिसमे बिना किसी भेद भाव के खाना परोसा जाता है और लोग सेवा करना पसंद करते हैं। बिना किसी भेदभाव के जाति, धर्म को पीछे छोड़ कर सेवा की जाती है तथा पेटभर खाना दिया जाता है। लंगर गुरिद्वारे में चलाए जाते हैं जो गुरद्वारे में आने वाले दान से संचालित होते हैं और कई जगहों पर तो प्रतिदिन लंग चलाए जाते हैं और भक्तो की सेवा की जाती है। मन्दिरों में आयोजित होने वाले भंडारे किसी खास अवसर पर आयोजित होते हैं और इसके लिए चंदा भी लिया जा सकता है जिसे ख़ुशी ख़ुशी भक्तों के द्वारा दिया भी जाता है। पर ऐसे कई मन्दिर है जो प्रतिदिन दान से भंडारे चलते हैं और लोगों को खाना खिलाने का काम करते हैं जैसे महामाया मंदिर, साईं मंदिर शिर्डी आदि।
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