हिमालय से निकलने वाली पवित्र गंगा नदी हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। प्रतिदिन इस नदी की पूजा की जाती है जिसे गंगा आरती कहते हैं और इस आरती में शमिल होना भी बड़े सोभाग्य की बात है। गंगा नदी का जल कई धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है और यह जल विशेष महत्व रखता है। गंगा का पानी कभी भी खराब नहीं होता है और नहीं इसमें किसी तरह के कोई कीड़े पड़ते हैं, यह पानी हमेशा ही शुद्ध रहता है। पर आखिर क्या कारण है कि गंगाजल कभी खराब नहीं होता है और नहीं इसमें कीड़े पड़ते हैं।
गंगाजल में कीड़े क्यों नहीं पड़ते?
गंगाजल पर कई बार शोध किये जा चुके हैं और वैज्ञानिक यह जानने में लगे रहते हैं कि आखिर गंगा नदी के जल में ऐसा क्या है जो अन्य नदियों की तरह इसका जल कभी खराब नहीं होता है और नहीं इसमें कीड़े पड़ते हैं? तो वैज्ञानिकों ने पाया की गंगा नदी के पानी में एक ऐसा वायरस है जो हानिकारक विषाणुओं को नष्ट कर देता है जिस कारण गंगा नदी का जल शुद्ध रहता है और इससे किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती है इसका नाम बैक्टीरियोफेज है।
यह वायरस उन बेक्टेरिया को नष्ट कर देते हैं जो पानी को अशुद्ध करते हैं और बीमारियाँ फेलते हैं, इस कारण इस पानी को पीने के बाद भी किसी तरह कोई समस्या नहीं होती है।
गंगा नदी हिमालय से निकलती है और हिमालय में कई तरह की औषधीय पायी जाती है जो इस नदी के रास्ते में उग जाती है और गंगा को इस योग्य बनाती है कि वह कभी खराब नहीं होता है और नहीं इसमें किसी तरह के कीड़े लगते हैं, नदी का पानी इन जड़ी बूटियों के सम्पर्क में आने के कारण ही इतना शक्तिशाली हो जाता है और अन्य नदियों की तरह बदबू भी नहीं मारता है और नहीं हैजे जैसी बीमारी का कारण बनता है।
नदी की जानकारी
गंगा नदी की कुल लम्बाई 2,525 Km है और यह हिमालय से चलकर बांग्लादेश में जा कर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस नदी के कारण ही कई क्षेत्रो में खेती सम्भव हो सकी है और इस नदी पर कई बांध बने हुए हैं जो विद्युत के निर्माण का काम करते हैं। प्रदेशो में कई जगहों पर इस नदी के किनारों पर घाट का निर्माण किया गया है जहा से लोग स्नान करते हैं और पूजा एवं अन्य धार्मिक कार्य पूर्ण किये जाते हैं।
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