स्वामी गोविंद देव गिरि के अनुसार, रामलला के भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद वेदिक और रामानंदीय परंपरा के अनुसार पूजन को संचालित करने के लिए संस्कृत जानकारों और पुजारियों का चयन करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके लिए आवेदन मांगे गए थे और इस प्रक्रिया के तहत लगभग 250 आवेदन आए थे। इनमें से पहले बैच के लिए 20 उम्मीदवारों के चयनित किए गए हैं।
22 जनवरी को, अयोध्या में भगवान राम अपने भव्य महल में विराजित होने वाले हैं। उनके आगमन के बाद, रोज़ाना पूजा-अराधना का आयोजन करेंगे 20 नए पुजारी, जिन्हें अर्चक कहा जाता है। इन दिनों, तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन 20 नए अर्चकों को प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू कर दिया है। इन पुजारियों का चयन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा किया गया है। बुधवार को, 24 प्रत्याशी पुजारी ट्रस्ट के कार्यालय पहुंच गए। इन सभी के लिए प्रशिक्षण सत्र शुरू होगा।
राम मंदिर में पुजारियों की ट्रेनिंग शुरू
लगभग 6 महीने के प्रशिक्षण काल के दौरान, इन्हें श्री राम जन्मभूमि मंदिर में पूजन अनुष्ठान की विधि सिखाई जाएगी और उनका ज्ञान मापा जाएगा। इसके बाद, योग्य प्रत्याशी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर और अयोध्या के अन्य मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इस पहल से अपेक्षित है कि देवताओं की पूजा-अराधना में सुधार होगा।
आचार्यों ने कहा – सभी अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचते देखकर खुशी होती है और सभी के दिल में एक ही इच्छा है, वह श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की सेवा का सौभाग्य प्राप्त करें। यह 6 महीने का प्रशिक्षण सत्र है, और प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रतिमाह ₹2000 दिए जाएंगे। 24 चयनित अभ्यर्थियों ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आवासीय कार्यालय में बुधवार को पहुचें हैं। इनका प्रशिक्षण गुरुवार से शुरू होगा।
भगवान राम की उपासना और पूजा का महत्व अर्चक अभिषेक पांडेय ने बताया है कि हमारे भारतीय शास्त्र, ग्रंथ, और उपनिषदें हैं जिनसे हमें भगवान राम की पूजा करने के विधियाँ, उपासना की सार्थकता, राजोपचार पूजन, आदि का प्रशिक्षण मिलता है।
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