प्यार की निशानी कहा जाने वाला ताज महल शाहजहाँ के द्वारा बनवाया गया था, जो दुनिया के सात अजूबो में शामिल है। यह अपनी खूबसूरती के कारण प्रसिद्ध हैं और प्रतिदिन सेकड़ों लोग इसे देखने के लिए देश विदेश से आते हैं। ताजमहल को सन 1632 में बनवाया गया था पर यह आज भी उनता ही खुबसुरत है जितना उस समय हुआ करता था। इसे देख कर मन में सवाल भी आते हैं कि ताजमहल को उस समय इतनी मजबूती से कसी बनाया गया होगा कि वह इतने सालों के बाद भी ऐसा का ऐसा ही खड़ा है और न ही उस समय इतनी आधुनिक चीजे हुआ करती थी और न ही सीमेंट का अविष्कार हुआ था तो फिर इतना मजबूत ताजमहल कैसे तैयार किया गया होगा?
ताजमहल का इतिहास
ताजमहल हमारे देश की ऐतिहासिक धरोहर हैं और यह सुंदर इमारत पुरे विश्व में प्रसिद्द है। ताजमहल को बनाने के लिए 20000 से अधिक मजूदर और 1000 से हाथियों की जरूरत पड़ी थी फिर भी यह 22 सालों में बन कर तैयार हुआ था। शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज के लिए यह मकबरा बनवाया था जिसमे आज शाहजहाँ और मुमताज दोनों की कब्रे मौजूद है, मुमताज की मृत्यु 17 जून 1631 को हुई थी। शाहजहाँ अपनी सभी बेगमो मेसे सबसे ज्यादा प्यार मुमताज को ही किया करते थे इसीलिए उन्होंने इस सुंदर इमारत का निर्माण करवाया था। ताजमहल को बनाने में कई तरह के पत्थरों का प्रयोग किया गया है और पूरी इमारत को संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है। और ताजमहल 1648 में बन कर तैयार हुआ था कहा जाता है कि जब तक मुमताज की कब्र अन्य स्थान पर होने का दावा किया जाता है।
ताजमहल की दीवारों को चिपकाने के लिए इस्तेमाल हुआ है गुड़!
ताजमहल का निर्माण 1631 में हुआ था और इस समय आज की तरह आधुनिक यंत्र, मशीने और सीमेंट जैसी जरुर चीजे ही नहीं थी जो एक विशाल इमारत को तैयार कर सकें। कहा जाता है कि ताजमहल 38 तरह के ख़ास पत्थरों से बना हुआ है और इन पत्थरों को चिपकाने के लिए एक खास लेप का इस्तेमाल किया गया था को जूट, कंकर, गुड़, दही, बेलगिरी का पानी और उड़द की दाल और गुड़ से तैयार किया गया था। ताजमहल को बनाने में आज के समय में आने वाली लागत 70 बिलियन रुपये से अधिक होगी।
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