हिन्दू धर्म में ज्योतिषशास्त्र का काफी महत्व है और व्यक्ति की कुंडली के आधार पर उसके जीवन की घटनाओं को समझा जा सकता है उसके व्यक्तित्व के बारें में जाना जा सकता है और यदि उसकी कुंडली में कसी तरह का कोई दोष है तो उसका पूरा जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी भी तरह के अशुभ योग है तो उसके जीवन में कई तरह की समस्याएँ आ सकती है और यदि कुंडली में शुभ योग है तो उसका जीवन काफी सरलता से गुजर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में विष योग है तो यह काफी अशुभ माना जाता है। पंडित नीरज त्रिवेदी के अनुसार विष योग से बचने के उपाय सम्भव है। आइये जानते हैं कि पंडित नीरज त्रिवेदी विष दोष के बारें में और क्या कहते हैं।
विष दोष क्या होता है?
कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर शुभ और अशुभ योग बनते हैं, तथा इनमे शनि और चन्द्रमा का विशेष महत्व होता है। न्याय के देवता शनि ढाई साल में राशि बदलते हैं और वहीं चंद्र को राशि बदलने में सवा 2 दिन का समय लगाता है। और जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि और चंद्रमा की युति बनती है तो उसे विष दोष होता है। विष दोष में शनि और चंद्रमा एक दूसरे के साथ गोचर करते हैं और यह अत्यधिक अशुभ माना जाता है। इस दोष के कई दुष्प्रभाव होते हैं जिस कारण जीवन प्रभावित हो सकता है और कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
विष योग होने के नुकसान
विष दोष में व्यक्ति की बुद्धि पर भी असर पड़ता हैं और उसे कई तरह की मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। वह अक्सर चिंता, तनाव, मानसिक अशांति से गुजरता है। उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है और उसे अक्सर बीमारियाँ घेर लेती है। उसके रिश्ते सभी के साथ खराब होने लगते हैं यहाँ तक की जीवनसाथी के साथ ही आये दिन विवाद होते रहते हैं, भाई बहनों से भी मन मुटाव हो जाता है। शिक्षा, व्यापार किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं होती है और आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में इस तरह का कोई दोष होता है ओ यह कुछ उपायों को आजमा कर इस विष योग से बच सकता है। आइये जानते हैं इन उपायों के बारें में और यदि आपको भी विष दोष है तो इन उपायों को जरुर आजमा सकते हैं।
विष योग से बचने के कारगर उपाय
- इस तरह का दोष यदि बन रहा है तो प्रतिदिन शिवलिंग का जलाभिषेक करे, और मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- इस दोष के प्रभावों से बचने के लिए सोमवार और शनिवार के दिन प्रातः काल भगवान शिव और शनि महाराज की पूजा करें।
- शनिवार के दिन सुबह और शाम शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाने से यह दोष खत्म हो जाता है।
- इस दोष के प्रभावों से बचने के लिए नारियल को सिर पर 7 बार घुमाए और उसे किसी पीपल के पेड़ नीचे फोड़ कर उस प्रशाद को परिवार में बाट दे, ऐसा करने से भी इस दोष से बचा जा सकता है।
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