हमारा ब्रह्मांड काफी विशाल है, जिसमे कई तारें, गृह, उल्कापिंड, धूमकेतु आदि पाए जाते हैं। इसी ब्रह्मांड का हिस्सा है हमारा सौरमंडल जिसमे हमारी पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रह उपस्थित है। सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगते हैं और एक निश्चित समय में इसे पूरा करते हैं, सूर्य का चक्कर लगाने के साथ-साथ यह ग्रह अपनी धुरी पर भी घूमते हैं जिस कारण दिन और रात होते हैं। सौरमंडल में मौजूद आठ ग्रहों में केवल शुक्र ग्रह एक ऐसा ग्रह है जो अपनी धुरी पर उल्टा घूमता है, इसी कारण इस ग्रह पर सूर्य पश्चिम से उगता है। इसके अलावा युर्न्स भी एक ऐसा ग्रह है जो घोमने में मामले में थोडा अजीब है क्योंकि यह ऊपर से नीचे की और घूमता है।
शुक्र ग्रह उल्टा क्यों घूमता है?
वैज्ञानिको का माना है कि शुक्र ग्रह पहले अन्य ग्रहों की तरह ही घूमता था पर एक बड़े टकराव के कारण शायद यह उल्टा घुमने लगा है। इस पर किसी विशाल क्षुद्रग्रह का टकराव हुआ होगा और विशाल आकार होने के कारण यह ग्रह इस टकराव से काफी प्रभावित हुआ होगा और यह पलट गया होगा जिसके बाद इसकी घुमने की दिशा भी बदल गयी होगी।
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र ग्रह ने अपनी दिशा इसलिए बदली है क्योंकि इसमें कई अलग-अलग परते हैं जिनमे अलग-अलग गाढ़ापन होता है। यह परते जब घुमती है तब घर्षण होता है और इसी घर्षण के कारण समय के साथ ग्रह की दिशा बदल सकती है। इन परतो के नाम क्रोड़ और पर्पटी है।
किसी भी ग्रह की गति उसके वायुमंडल से प्रभावित हो कस्ती है और जिसका वायुमंडल जितना घना होता है उसकी गति उतनी धीमी होती है, तथा यह घनापन कई बार ग्रहों की दिशा परिवर्तित भी कर देता है।
कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि शुक्र ग्रह पहले अन्य ग्रहों के समान ही घुर्णन करता था पर धीमी गति से घुर्णन करने के कारण इसकी दिशा बदल गयी होगी। ऐसा होना सम्भव है यदि कोई ग्रह काफी धीरे घूमता है तो एक समय ऐसा आ सकता है जब उसकी दिशा पूरी तरह से परिवर्तित हो जाएँ और वह उल्टी दिशा में घुमने लगें।
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