हमने बचपन में कई बार आसमान में टूटते हुए तारों को देख कर मन्नत मांगी है क्योंकि हमने सुन रखा है कि टूटते हुए तारों से जो मांगो वह जल्द ही पूरा हो जाता है। कई लोग बड़े होने पर भी ऐसा करते हैं और रात को आसमान में दिखने वाले टूटते तारों से किसी न किसी की ख्वाहिश मांगते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि वास्तव में तारे कभी टूटते ही नहीं है और आसमान में जो हमें टूटते हुए तारो के समान दिखाई देते हैं वह तारे होते ही नहीं है।
यदि तारे नहीं टूटते हैं तो फिर क्या होता है?
यदि आप भी टूटते हुए तारे से मन्नत मांगते हैं और आप कई सालों से ऐसा करते आ रहे हैं तो आपको जानकर हैरानी होगी कि तारे वास्तव में टूटते ही नहीं है। हमें रात में जो टूटते तारों के समान दिखाई देते हैं वह असल में उल्का और उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह और धूमकेतु के अवशेष होते हैं। जो धरती के वायुमंडल में घुस जाते हैं और तेज रफ्तार होने के कारण उनमे घर्षण होने लगता है जिससे की वह जल उठते हैं और हमें तारे के समान चमकते हुए दिखाई देते हैं। तेजी से गिरते हुए यह पृथ्वी पर आने पहले ही खत्म हो जाते हैं और हम इन्हें तारा समझ लेते हैं।
तारों का आकार काफी बड़ा होता है और वह टूटते नहीं है बल्कि इनमे विस्फोट हो सकता है और इंधन खत्म होने के बाद यह ब्लैक होल में भी बदल जाते हैं। तारे कभी हमारे सौरमंडल में नहीं आते हैं और यह हजारों प्रकाश वर्ष दूर होते हैं। हमारे सौरमंडल का तारा सूर्य है जिसके आसपास सभी गृह चक्कर लगाते हैं। सूर्य भी एक तारा ही है जिसकी उम्र लगभग 10 अरब वर्ष बाकि है जिसके बाद यह खत्म हो जाएगा और सौरमंडल का अंत हो जाएगा।
उल्कापिंड के गिरने की गति इतनी अधिक होती है कि घर्षण के कारण वह खत्म हो जाते हैं, तथा ब्रह्मण में कई लाखों उल्कापिंड है जिन मेंसे कुछ कई बार पृथ्वी के वायुमंडल में आ जाते हैं और चमकते हुए टूटते तारे के समान लगते हैं।
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