एक स्त्री किसी भी व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से परिवर्तित कर सकती है, यदि वह एक सभ्य स्त्री है तो व्यक्ति उस स्त्री का साथ पा कर जीवन में काफी आगे बड़ सकता है पर यदि स्त्री स्वार्थी और धोखेबाज है तो व्यक्ति के जीवन को नर्क बना सकती है। चाणक्य ने इस सन्दर्भ में भी अपनी नीतियाँ साझा की है कि किस तरह एक स्त्री की पहचान की जा सकती है कि वह सभ्य है या स्वार्थी और धोखेबाज है।
आचार्य चाणक्य मनुष्य के स्वभाव को अच्छे से जानते थे इसीलिए उन्होंने स्वभाव के आधार पर चरित्र का पता लगाने वाली नीतियाँ बनाई जो आज भी काम में ली जा सकती है।
त्याग
त्याग की भावना एक रिश्ते में बेहद जरुरी है क्योंकि इसके बिना रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है। यदि किसी स्त्री में त्याग की भावना नहीं है तो वह अपने परिवार और पति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और कभी भी धोखा दे सकती हैं। जो पत्नी समय के अनुसार पति का साथ देती उसके लिए त्याग करती है तो उस पत्नी पर विश्वास किया जा सकता है।
स्वार्थी
स्वार्थी स्त्री कभी भी अपने अलावा किसी और की भावनाओं के बारें में नहीं सोचती है केवल स्वयं के बारें में ही सोचती है जिस कारण वह एक अच्छी महिला नहीं बन पाती है। और ऐसी भावना रखने वाली स्त्री कभी भी परिवार और पति के लिए सही साबित नहीं होती है और अपने परिवार का नाश कर देती है।
चरित्र और स्वभाव
चरित्र और स्वभाव ही व्यक्ति की पहचान होती है, जिस स्त्री का स्वभाव और चरित्र ठीक नहीं होता है वह परिवार और समाज के लिए अभिशाप होती है। स्त्री के चरित्र की पहचान उसकी आदतों और कार्यों से की जाती है यदि वह अवगुण वाली स्त्री है उसका चरित्र खराब होता है, इसीलिए विवाह से पहले स्त्री के स्वभाव और चरित्र को जान लेना चाहिए।
गुण
व्यक्ति महिला में केवल उसकी सुन्दरता को देखता है पर यदि सबसे ज्यादा कुछ महत्व रखता है तो वह होते गुण। अवगुणों वाली महिला से दूरी बना कर ही रखना चाहिए यदि वह आपके जीवन में प्रवेश कर लेते हैं तो स्वयं के साथ साथ आपको भी बर्बाद कर सकती है।
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