हमारे देश का संविधान काफी विस्तृत है जिसमे कई तरह के अधिकारों के बारें में भी बताया गया है, इस अधिकारों में एक अधिकार है आभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार। पर लोगों ने इस अधिकार को सही से समझा नहीं है और इसका उपयोग भडकाऊ भाषण देने तथा नफरत फ़ैलाने में कर रहे हैं। अभिव्यक्ति की आज़ादी और किसी के भी खिलाफ कुछ भी कहने में काफी अंतर है, इसीलिए बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार को अच्छे से समझ लेना चाहिए।
नेता और उनके भड़काऊ भाषण
हमारे देश के नेताओं पर सबसे ज्यादा भडकाऊ भाषण देने के आरोप लगते रहे हैं और आज भी इन भडकाऊ भाषण देने वाले नेताओ पर किसी भी तरह की कोई लगाम नहीं लगी है उल्टा इसमें बढ़ोतरी हो गयी हैं। हालही में इस्लामिक उपदेशक मौलाना मुफ्ती सलमान अजहरी के खिलाफ भडकाऊ भाषण देने के आरोप में आईपीसी की धारा 153B, 505(2), 188, 114 के तहत केस दर्ज हुआ है। उन्होंने कहा था कि “कुछ देर की खामोशी है फिर शोर आएगा, आज कुत्तों का वक्त है कल हमारा दौर आएगा”
जिसके बाद हिन्दू संघठन नाराज़ हो गये और उन्हें खिलाफ केस दर्ज कर दिया, जिसके बाद सेकड़ो की संख्या में मुस्लिम लोगों ने ठाने का घेराव भी कर दिया था।
ऐसा ही एक केस BJP की नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ भी दर्ज किया गया था तह घटना 2022 की है। उनके भाषण से मुस्लिम समुदाय नाराज़ हो गया था और नूपुर शर्मा खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था। कई मुस्लिम देश भी नूपुर शर्मा के भाषण से नाराज़ हो गये थे। भारत देश में कई नेताओं के खिलाफ हेट स्पीच देने के सन्दर्भ में केस दर्ज है जिसमे 4768 सांसदों और विधायकों पर अध्ययन किया. उनमें से 33 सांसद और 74 विधायक शामिल है।
अभिव्यक्ति की आजादी और हेट स्पीच
यदि कोई व्यक्ति अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भड़काऊ भाषण देता है तो उसे धारा 153A के तहत आरोपी को तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती हैं, यह सजा 5 साल तक बड़ सकती है यदि भाषण किसी सभा में दिया गया है। अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में यह नहीं आता है कि आप किसी भी धर्म या समुदाय की भावनाओ को ठेस पहुचाए। यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म, जाति, समुदाय के खिलाफ भाषण देता है या फिर दो समुदायों के बीच झगड़ा उत्पन्न करने के उद्देश्य से भाषण देता है तो उसके खिलाफ भी केस दर्ज हो सकता है, ऐसा करना अभिव्यक्ति की आजादी में नहीं आता है इसे विवादित बयान कहा जाता है और व्यक्ति के खिलाफ प्रकरण दर्ज हो सकता है।
अभिव्यक्ति की आजादी के अंतरगत आप सरकार के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, उनके कामो की शिकायत कर सकते हैं पर किसी के धर्म के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं। लोकतंत्र में बोलने का अधिकार है और मीडिया से लेकर एक आम व्यक्ति अपनी बात रख सकता है पर उसे मर्यादा का पालन करना होगा। देश को विकसित बनाने के लिए यह बेहद जरुरी है कि नागरिको को अपनी बात रखने दी जाएँ।
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