दिन की शुरुआत ही घड़ी के साथ होती है, सुबह उठने के बाद सबसे पहले हर कोई समय देखता है कि कही वह गलत समय पर तो नहीं उठा है वर्ना उसको दिन के कामो को करने में देरी हो सकती है। हर कोई अपने दिन के कामों को समय के आधार पर बाट देता हैं और उसी के आधार पर काम करता है। और समय देखने के लिए सबसे जरुरी है घड़ी या मोबाइल फ़ोन आदि। घड़ी के बिना आज के समय में दिन व्यतीत करना असम्भव है और इस घड़ी के कारण ही आज हम सटीक तरीके से काम कर सकते हैं। घड़ी पर दिखने वाला सही समय पुरे देश के लोगों के लिए एक समान रखा जाता हैं जिससे की व्यवस्था बनी रहें और देश सुचारू रूप से काम कर सकें। आप जान ही गये होंगे कि घड़ी कितनी जरुरी चीज हैं और इसके बिना आधुनिक युग की कल्पना कर पाना असम्भव है। पर आपने कभी सोचा है कि पहले के समय में लोग समय कैसे देखते थे जब घड़ी का अविष्कार नहीं हुआ था।
घड़ी के आविष्कार के पहले समय कैसे देखते थे?
अब तो हमारे पास समय देखने के लिए काफी सारे यंत्र है जैसे घड़ी, मोबाइल आदि पर पहले के समय में भी काम करने के लिए समय देखने की जरूरत तो होती ही होगी तो ऐसे में लोग क्या करते होंगे? उन्हें कितनी समस्या आती होगी तो ऐसे में वह समय का अनुमान कैसे लगते होंगे? तो आपको बतादें कि पहले के समय में आधुनिक यंत्र नहीं थे तो लोग, सूर्य की स्तिथि से, रेत घड़ी या जल घड़ी के माध्यम से समय देखा जाता था।
सूर्य से बनाने वाली परछाई से समय देखना
सूर्य के की स्थिति से समय का अंदाजा लगाया जाता था या फिर सूर्य के कारण बनने वाली परछाई से समय का पता लगा जाता था। जयपुर के जन्तर मंतर में आपको एक मानव निर्मित तिकोनी आकृति का पत्थर मिल जाएगा जिसकी मदद से समय का पता लगाया जाता था। लोग अपने घर पर डंडा लगा कर सूर्य के द्वारा बनने वाली परछाई से समय का पता लगा लेते थे। पर ऐसा करना तब ही सम्भव हो पाता था तब आसमान पूरी तरह से साफ़ हो किसी तरह के कोई बादल न हो और साथ ही यह केवल दिन के समय ही सम्भव था।
रेत घड़ी से करते से समय का आकलन
रेत घड़ी का सबसे पहले अरब में इस्तेमाल हुआ करता था, रेत घड़ी एक ऐसा यंत्र है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण काम करता है। यह कांच का बना होता है और इसमें रेत भरी होती है, इसका आकार्कुचैसा बनाया जाता है कि रेत धीरे धीरे निश्चित समय में नीच गिरती है और दुसरे खाने में चली जाती है जिससे की समय का आकलन किया जा सकता था। रेत घड़ी लगभग 8वीं शताब्दी में बनाई गयी थी जो समय का आकलन करने का सबसे सही तरीका था।
जल घड़ी के द्वारा समय का पता लगाना
जल घड़ी भी रेत घड़ी की तरह ही होती है पर इसमें रेत की जगह पानी भरा होता है और पानी धीरे धीरे ऊपर के हिस्से से नीचे आ जाता है। इसके माध्यम से ही से का पता लगाया जाता था। जल घड़ी काफी पुराना यंत्र है जो शायाद 7वीं शताब्दी में भी इस्तेमाल किया जाता रहा होगा। आज के समय में इसकी कोई जरूरत महसूस नहीं होती है पर प्राचीन काल में समय का पता लगाने के लिए इसका ह उपयोग किया जाता था।
यह सब प्राचीन उपकरण केवल व्यतीत किये गये समय के बारे में ही जानकारी दे सकते थे, आज की घड़ी की तरह वर्तमान समय ज्ञात करने के लिए दिन में सूर्य का उपयोग ही किया जा सकता था यदि बरसात मोसम न हो और बादल न हो।
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