हमारा देश विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों का घर है जो विभिन्न व्यवसायों में काम करते हैं। हालाँकि कुछ स्थानों पर जाति और धर्म के आधार पर आरक्षण है, लेकिन यह हर क्षेत्र में संभव नहीं है। खास कर सरकारी नौकरी ओए कुछ पदों पर आरक्षण है साथ ही शिक्षा में क्षेत्र में भी आरक्षण काफी महत्व रखता है जिससे की एडमिशन और छात्रवृत्ति मिल जाती है।
ओवैसी का सवाल – Indian Army में कितने मुस्लिम सोल्जर है?
जब सेना की बात आती है, तो मैं उनके लिए बहुत सम्मान रखता हूँ, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो और नहीं हमारी सेना इन कारकों के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। 2018 में लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर लोकसभा में सवाल उठाया था कि बीएसएफ, आईटीबीपी और सीआरपीएफ में मुसलमानों की संख्या कितनी है?
पर बीएसएफ, आईटीबीपी और सीआरपीएफ में मुसलमानों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्रालय ने कहा कि योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया में धर्म कोई भूमिका नहीं निभाता है। सशस्त्र बलों में बी से डी तक भर्ती पूरी तरह से योग्यता पर आधारित है और सभी व्यक्तियों के लिए खुली है इसमें किसी तरह का जातीय भेदभाव नहीं होता है।
प्रत्येक नागरिक को जाति, पंथ, जनजाति या किसी अन्य कारक के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सेना में शामिल होने का अधिकार है। एकमात्र आवश्यकता यह है कि उम्मीदवार आयु, शारीरिक, चिकित्सा और शैक्षिक मानदंडों को पूरा करें यदि वह मापदंडो को पूरा नहीं करता है तो वह किसी भी जाती धर्म का हो उसका चयन नहीं होगा और यदि वह सभी मापदंडो को पूरा करता है तो उसक चयन निश्चित है। 2018 में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि BSF में कोई मुस्लिम नहीं है। और उन्हें जवाब में कहा गया कि आर्मी में भर्ती योग्यता के आधार पर होती है।
ओवेसी ने और क्या कहा?
इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि एनडीए सरकार ने केंद्र सरकार के संगठनों जैसे सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मुसलमानों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया। ये सभी संस्थान केंद्र सरकार के अधीन हैं। मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि कृपया आंकड़े पेश करें।
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