पूरी दुनिया में कई ऐसे मन्दिर है जो रहस्यमय है या अपने साथ किसी प्राचीन मान्यता को जोड़े हुए हैं। ऐसा ही एक मन्दिर है जहाँ किसी भगवान की नहीं बल्कि दांत की पूजा होती है।
कहा है दांत का मन्दिर
रहस्यमय मंदिरों की कहानियाँ काफी अच्छी लगती है और लोगों को आश्चर्य में डाल देती है। अनोखे मन्दिर और प्राचीन सभ्यताएँ आज भी मोजूद है ऐसा ही एक मन्दिर है जहां दांत की पूजा की जाती है और यह दांत किसी आम व्यक्ति का नहीं बल्कि भगवान गौतम बुद्ध का है। इस मन्दिर में हजारों सालो से दांत की पूजा की जाती है और खास बात तो यह है कि इस यह दांत समय के साथ बड़ रहा है।
यह दांत का मन्दिर भारत में नहीं बल्कि श्री लंका में है। गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके परिचित ने उनके दांत निकाल लिए थे। भगवान गौतम बुद्ध का अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ था। इसमें अनुयायी ये यह दांत ब्रम्हदत्त को दे दिए थे जिसके बाद ब्रम्हदत्त ने इस दाँतों की पूजा करना शुरू किया और इन्हें अपने राज महल में रखा।
दांत को पाने के लिए हुए थे युद्ध
इस दांत को पाने के लिए कई युद्ध भी हुए, इसी कारण इस दांत को सुरक्षित रखना जरुरी था और फिर भगवान गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने इस दन्त को सुरक्षा का ध्यान रखते हुए श्री लंका पहुचा दिया। उस समय से ही यह दांत श्री लंका में है, वहा के राजा ने ससम्मान दाँतों के लिए मन्दिर का निर्माण करवाया। लोगों का मानना है कि यह दांत चमत्कारी है और इसके दर्शन मात्र से ही दुःख खत्म हो जाते हैं। इन दातों को एक डिब्बी में रखा गया है को पारदर्शी है तथा किसी को भी उसे छूने की अनुमति है।
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