BJP सरकार पुरे देश में UCC लागू करने की तैयारी में है, इसी बीच उतराखंड सरकार ने अपन राज्य में UCC लागू कर दिया है, इससे तलाक, शादी, सम्पति जैसे नियमो में परिवतर्न हो जाएँगे। सदन में मंजूरी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विधेयक को पेश किया था क्योंकि यह उनके चुनावी वादें मेसे एक था।
क्या है UCC
UCC का फुल फॉर्म है Uniform civil code. जिसे हिंदी में यूनिफॉर्म सिविल कोड कहा जाता है। इसमें हर धर्म, समुदाय के व्यक्ति के लिए समान कानून होंगे यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। अभी यह पुरे देश में लागू नहीं है इसीलिए उन जगहों पर अभी भी धर्म एक आधार पर कानूनी फैसले लिए जाते हैं, भीमराव अम्बेडकर भी इस UCC के पक्ष में थे और उन्होंने कहा था कि
उन्होंने कहा कि इस बात पर बहस करने में बहुत देर हो चुकी है कि यूसीसी को लागू किया जाना चाहिए या नहीं, क्योंकि काफी हद तक इसे पहले ही लागू किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि देश में विवाह और विरासत जैसी चुनिंदा चीजों को छोड़कर, यूसीसी पहले से लागू है. हालांकि, आंबेडकर ने संबंधित सदस्यों को कुछ आश्वासन दिए. जैसे- अनुच्छेद की भाषा पर उन्होंने कहा कि “राज्य प्रयास करेगा…”
उत्तराखंड का UCC बिल
उत्तराखंड का यूसीसी विधेयक उन शर्तों को निर्दिष्ट करता है जिनके तहत विवाह को अमान्य माना जाएगा। विधेयक के अनुसार, यदि प्रतिवादी नपुंसक है या जानबूझकर शारीरिक अंतरंगता से बचता है, तो विवाह को अमान्य माना जा सकता है।
याचिकाकर्ता को शादी के लिए सहमति देने के लिए मजबूर किया गया हो, प्रताड़ित किया गया हो या धोखा दिया गया हो, परिणामी शादी वैध नहीं मानी जाएगी।
यदि पत्नी विवाह के समय पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से गर्भवती हो जाती है, या यदि पति विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती कर देता है, तो भी विवाह अमान्य होगा।
जब तक शादी का एक साल पूरा नहीं हो जाता, तब तक तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकती। इससे पहले प्रस्तुत किए गए किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा या अस्वीकार कर दिया जाएगा। तलाक के मामलों पर विचार करते समय अदालत इसमें शामिल किसी भी बच्चे के सर्वोत्तम हितों और कल्याण को प्राथमिकता देगी।
तलाक कुछ शर्तो को ध्यान में रख कर मंजूर हो सकता है जैसे एक पक्ष किसी अन्य के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाता है, साथी के साथ क्रूर व्यवहार करता है, अपने साथी को दो साल से अधिक समय के लिए त्याग रखा हो, या फिर धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा जाता है।
पुरुष और महिला कोई भी एक साथी के होने पर बिना तलाक लिए दुसरी शादी नहीं कर सकेंगे, और यदि कोई शादी के बाद धर्म परिवर्तन कर लेता है तो दुसरे व्यक्ति को तलाक लेने का अधिकार है।
मुस्लिमों में अगर कोई महिला तलाक के बाद शादी करना चाहती है तो उसे हलाला की कोई जरूरत नहीं होगी और यदि कोई उसे हलाला करने के लिए मजबूर करता है तो 1 लाख तक जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
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