भूकंप के झटकें काफी ज्यादा नुकसान पहुचा सकते हैं, और आये दिन देश के कई क्षेत्रों में भूकम्प के झटके महसूस होते हैं जिस कारण काफी नुकसान भी होता है। भूकम्प में धरती काप जाती है और यदि यह तीव्र है तो बड़ी बड़ी बिल्डिंग एक ही झटके में गिर जाती है, जिसके नीचे दबने से कई लोगों की मौत हो जाती है। भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसे रोका नहीं जा सकता है केवल यंत्रों के द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है और स्थान को खाली किया जा सकता है। साथ ही मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए कई तरह की आधुनिक मशीनों का उपयोग कर जन हानि को कम किया जा सकता है। पर आखिर ऐसा क्या होता है कि भूकम्प आ जाते हैं? आइये जानते है कि भूकम्प क्यों आते हैं और इसकी तीव्रता को कैसे मापा जाता है।
भूकंप क्यों आते हैं?
हमारी धरती गोल है और यह कई परतों से मिल कर बनी है, परतो के नाम इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर है। इसके साथ ही यह परतें कई प्लेटों से मिल कर बनी है, इन प्लाटों की संख्या 7 है जो घूमती रहती है और इनमे यदि किसी तरह की हलचल हो जाती है तो भूकम्प आ जाता है।
यह सात प्लेट गतिमान होती है और कई बार आपस में टकरा भी जाती है जिससे की हलचल हो जाती है और भूकम्प आ जाता है। जिस स्थान पर यह टकराव होता है उसे भूकम्प का केंद्र कहा जाता है और केंद्र पर यह भूकम्प तीव्र होता है।
भूकंप की तीव्रता को कैसे मापा जाता है?
भूकंप के बाद प्लेट के टकराने से ऊर्जा बाहर की और निकल जाती है और यह ऊर्जा तरंगों के रूप में होती है। इन तरंगों के द्वारा ही भूकंप की तीव्रता का पता लगाया जाता है, यह तरंगे इतनी तीव्र होती है कि धरती में दरारें आ जाती है। भूकंप की जांच रिक्टर स्केल के द्वारा की जाती है और इस स्केल पर भूकम्प को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकम्प की तीव्रता जितनी अधिक होती है मान भी उतना अधिक होता है यानिकी 9 तीव्रता का भूकम्प सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।
भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा जोन 5 में होता है। क्षेत्रों को भूकम्प की सम्भावना के आधार पर जोन में बाटा गया है। जोन 1 में भूकम्प की सबसे कम सम्भावना होती है और जोन में 5 में सबसे जादा भूकम्प आते हैं। तीसरे और दूसरे जोन में देश का 30 फीसदी हिस्सा आता है।
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