हम तारीख जानने के लिए कैलेंडर का उपयोग करते है, और ऐसा करना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि बिना तारीख के कार्य कर पाना सम्भव नहीं है। सही से समय पर काम करने के लिए कैलेंडर जरूरत होती है। साथ ही खगोल विज्ञान में भी कैलेंडर का काफी महत्व है,,कैलेंडर ग्रहों की स्थिति, शुभ-अशुभ समय आदि बहुत सी जानकारी प्रदान करते हैं क्योंकि कई धर्मों में ग्रहों की स्थितियों के आधार पर धार्मिक काम किये जाते हैं जिनका पता तारीख से लगता था। जैसा की हम जानते हैं कि समय को कई हिस्सों में बाटा गया है जैसे सेकंड, मिनट, घंटा, दिन, महिना, साल। समय की जानकारी रखना बेहद जरुरी है इसीलिए हमें लगभग हर समय यह पता होता है कि अभी क्या समय हो रहा है? कोनसा महिना चल रहा है या कोनसा साल चल रहा है? जब भी साल के सन्दर्भ में बात आती है तो कही न कही इंसान के दिमाग में लीप वर्ष से जुड़े प्रश्न भी जन्म ले सकते हैं। यह प्रश्न कुछ इस तरह हो सकते है कि हमें लीप वर्ष की आवश्यकता क्यों है? लीप वर्ष कितने साल में आता है? लीप वर्ष में कितने दिन होते हैं आदि कई प्रश्न लीप वर्ष से सम्बन्धित होते हैं। आज हम लीप वर्ष के बारें में ही बात करने वाले हैं।
लीप वर्ष क्या होता है?
साल में 365 दिन होते हैं जो महीनों में विभाजित होते हैं और हर महीना 28, 29. 30 या 31 दिनों में विभाजित होता है। पर लीप वर्ष में 365 की जगह 366 दिन होते हैं, लीप वर्ष में एक दिन अधिक होता है और इस दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है तथा हर बार 28 दिन की फरवरी लीप वर्ष में 29 दिन की हो जाती है। लीप वर्ष हर 4 साल में एक बार आता है यानि कि यह वर्ष 2024 लीप वर्ष है और अब अगला लीप वर्ष 2028 में आएगा जिसमे 365 की जगह 366 दिन होंगे। पर क्या कारण है कि लीप वर्ष में एक दिन एक्स्ट्रा होता है और यह हर चार साल में ही क्यों आता है? आइये जानते हैं इसके पीछे के कारण को और साथ ही जानेंगे कि क्या हो अगर लीप वर्ष में एक दिन को न जोड़ा जाएँ।
हमें लीप वर्ष की आवश्यकता क्यों है?
लीप वर्ष के होने के पीछे बेहद रोचक कारण है जिसे जानकार आप शायद चौक भी जाएँ और आप इसके बारें में और अधिक जानने की इच्छा करें।
जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी जब सूर्य का एक चक्कर पूर्ण कर लेती है तो एक साल होता है और अपनी धुरी पर एक चक्कर पूर्ण करने पर एक दिन और रात होती है। एक साल में 365 दिन होते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है एक पूरा साल 365.24 दिन लंबा होता है यानिकी पृथ्वी 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 56 सेकंड में सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है और हर साल यह समय जुड़ता जाता हैं जिस कारण हर साल में कुछ समय जुड़ जाता है और यदि यही समय जुड़ता चला जाएँ तो मई में आने वाली गर्मी दिसम्बर में आने लगेगी ऐसा न हो इसके लिए हर 4 साल में एक दिन बढ़ाने की जरूरत होती है ताकि मौसम उनके सही समय पर आये और सालों तक यही व्यवस्था बनी रहे और तारीखे मौसम सही समय पर रहें। इसी कारण हमें लीप वर्ष में एक दिन बढ़ाने की जरूरत होती है।
फरवरी में ही क्यों होता है अतिरिक्त दिन
कैलेंडर का इतिहास काफी पुराना है और इससे जुड़े कई प्रश्न सामने आते हैं जो कई तरह के हो सकते हैं। कैलेंडर में जो दिनों की व्यवस्था की गयी है उसके पीछे कई तरह की मान्यताएं हो सकती है। आज भी हर किसी के लिए यह प्रश्न बना हुआ है कि आखिर फरवरी को ही इसके लिए क्यों चुना गया था। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह जरुरी नहीं है कि फरवरी में ही एक दिन बढाया जाए पर यह पुराने समय से चला आ रहा है जिस कारण इसमें परिवर्तन करना सही नहीं है।
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