आपने देखा होगा की कई बार किसी दुसरे को उबासी लेते हुए देखने पर आपको भी उबासी आने लगती है पर इसके पहले आप बिलकुल भी आलस या नींद महसूस नहीं कर रहे थे तो फिर ऐसा क्यों की किसी को देख आकर हमें भी उबासी आने लगती है?
एक-दूसरे को देखकर क्यों आती है उबासी?
हम कई बार देखते हैं कि उबासी आने का अर्थ होता है कि हमें नींद आ रही है या हम किसी एक काम को बार बार करने के कारण उससे ऊब चुके हैं। पर कई बार हम देखते हैं कि कोई व्यक्ति जब हमारे सामने उबासी लेता है तो हमें भी उबासी आने लगती है और हम भी उबासी लेते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे हमारा दिमाग जिम्मेदार है जो किसी और को जम्हाई लेते हुए देखता है तो हमें भी ऐसा करने पर मजबूर करता है।
हमारे शरीर की कई घटनाओं के पीछे की वजह दिमाग ही होता है क्योकि दिमाग की कई तरह के कार्यो को करवाने के लिए बना है। उबासी लेने के पीछे हमारे दिमाग में मौजूद एक न्यूरॉन जिम्मेदार है जिसका नाम है मिरर न्यूरॉन। यह न्यूरॉन नया सिखने, किसी तरह की नकल करने के लिए जिम्मेदार होता है और ऐसा करने की वजह बनता है।
मिरर न्यूरॉन किसी को उबासी लेता हुआ देखने पर हमें भी वैसा ही करने के लिए उकसाता है और हम पाते हैं कि आलस न आने पर भी हम उबासी ले रहे हैं।
किसने की न्यूरॉन की खोज
मिरर न्यूरॉन के बारें में जियोकोमो रिजोलाटी नाम के न्यूरोबायोलॉजिस्ट ने पता लगाया था कि यह डिंग के चारों हिस्सों में पाया जाता है और यह कुछ बिमारियों के कारण प्रभावित भी हो सकता है जिसमे मुख्य रूप से ऑटिज़्म शामिल है। यह न्यूरॉन बंदरो में भी पाया जाता है और इंसानों में भी इसलिए वैज्ञानिको ने बंदरो पर भी काफी रिसर्च की और इस न्यूरॉन के गुण और कार्यो का पता लगाया था।
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