ट्रैक्टर तो आपने देखा ही होगा इसका उपयोग कई कामों में किया जाता है पर यह दुसरे वाहन से काफी अलग होता है, और इसका साईलेंसर भी आगे और ऊपर की और होता है। पर क्या कारण है कि ट्रैक्टर का साइलेंसर आगे की और होता है? क्यों कार और दुसरे वाहनों की तरह पीछे और नीचे नहीं होता है?
ट्रैक्टर का साइलेंसर आगे ही क्यों लगाया जाता है?
यह प्रश्न कई लोगों के दिमाग में आ सकता है कि ट्रेक्टर का साईलेंसर ऊपर क्यों होता है और कई लोगों इस प्रश्न को कोरा पर भी पूछा है। कोरा पर हमें एक रेलवे में मुख्य इंजीनियर का जवाब मिला जिसमे उन्होंने बताया कि ट्रेक्टर का साइलेंसर आगे इसलिए होता है क्योंकि ट्रैक्टर का एग्जास्ट सामने की तरफ होता है और जिस तरह एग्जास्ट होता है उसी तरफ साइलेंसर लगाया जाता है।
केवल यही कारण नहीं है की ट्रेक्टर का साइलेंसर आगे और ऊपर की और होता है जो हमें कोरा पर मिला है। इसके कई और दुसरे कारण भी है जैसे की ट्रेक्टर अन्य वाहनों की तरह केवल एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाने के लिए नहीं होता है, बल्कि इसका सबसे ज्यादा उपयोग खेतो में किया जाता है, और यदि साइलेंसर नीचे या फिर पीछे तरफ लगाया जाए तो इससे निकलने वाला धुँआ फसल को हानि पहुचा सकता है। साथ ही पथरीली जगह होने के कारण इसके टूटने का खतरा भी बना रहता है। ट्रैक्टर का स्ट्रक्चर कुछ इस तरह बनाया जाता है कि वह खेतों में काम कर सकें, इसके आगे के टायर छोटे और पीछे के बड़े होते हैं। इसका इंजन आगे होता है और इसके पीछे कई बार खेत जोतने की मशीन, हल, हार्वेस्टर, या फिर डाला-ट्रॉली आदि चीजे लगाई जाती है, इसमें मशीन आसानी से लग सकें इसलिए इसका इंजन आगे होता है और इंजन आगे होने के कारण साइलेंसर भी आगे लगाया जाता है।
इंजन खेतों में लम्बे समय तक काम करता है और इस बीच साइलेंसर गर्म हो जाता है जिससे की आग लगने का खतरा होता है। खेतों में उगी फसल आग पकड़ सकती है। साथ ही यदि साइलेंसर नीचे होगा तो खेत में मौजूद अपशिष्ट इसमें जा सकता है, साथ ही खेतों के पानी भी होता है जो यदि साइलेंसर से इंजन में पहुच गया तो इंजन खराबी हो जाता है।
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