महाराणा प्रताप वो महान राजा थे जिन्होंने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और नहीं उनकी विशाल सेना देख कर डरे। वह हमेशा से ही हमारे लिए सम्मानीय है जिन्होंने अधर्मियों से हमारे देश की रक्षा की और मुगलों को धूल चटाई।
महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा थे और उनकी वीरता के चर्चे आज भी भारत के कौने कौने में होते हैं, इन्होने कभी भी मुगलों की गुलामी हो स्वीकार नहीं किया, महाराणा प्रताप का जन्म राजपूत के राजघराने में हुआ था। महाराणा प्रताप अकबर कि 85 हज़ार सेनिको की सेना के साथ युद्ध के लिए भी तैयर हो गये थे जबली उनकी सेना में मात्र 20 सेनिक थे।
महाराणा प्रताप रखते थे दो तलवार
महाराणा प्रताप के पास हमेशा दो तलवार रहती थी क्योंकि माँ ने उसने शिक्षा दी थी कि कभी भी निहत्थे पर वार न करें और उन्होंने कभी निहत्थे पर वार नहीं किया, यदि कोई दुश्मन उनके सामने आ भी जाता और उसके पास हथियार नहीं होता तो वह अपनी दो तलवार मेसे एक उसे दे देते थे। वह अपने साथ इसीलिए दो तलवार रखते थे क्योंकि वह निहत्थे दुश्मन पर वार करना कायरता मानते थे।
गद्दार मानसिंह जब शिकार करने के लिए रात समय जंगलो में गया था तब महाराणा प्रताप के सेनिको ने उन्हें कि यह एक अच्छा मौका है मानसिंह को मारने का क्योंकि वह निहत्था भी है पर महाराणा प्रताप ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि वह उसे युद्ध में ही सबक सिखाएंगे। महाराणा प्रताप ने काभी अपने उसूलो के साथ समझोता नहीं किया और नहीं कभी दुश्मन के साथ मिलाया, उन्होंने अपना काफी समय जंगलो में और घास की रोटी खा कर बिताया पर कभी मुगलों के सामने नहीं झुकें।
72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला
वह हमेशा सत्य और धर्म का साथ देते थे और आक्रांताओ का सामना करने से कभी नहीं डरते थे, उन्होंने देश को लुटने वाले मुगल, और धर्मांतरण करने वालो से हमेशा संघर्ष किया फिर चाहे उनकी सेना ने कम सेनिक ही क्यों न हो। । महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने साथ लेकर दुश्मनों का सामना करने उतरते थे और उनका घोड़ा चेतक था जिसका नाम भी इतिहास में काफी गर्व से लिया जाता है क्योंकि यह काफी तेज था और एक बार 26 फीट के नाले को लांघ लिया, जिसे मुगल पार न कर सके।
अन्य लेख –